बांदा जिले के अब्दुल रहमान को ” हिंदी काव्य रत्न ” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित किया गया

जिले के प्रसिद्ध कवि तथा लेखक का नेपाल में सम्मान किया गया है। नेपाल के लुंबिनी में आयोजित किए गए एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की शान अब्दुल रहमान जिनका साहित्यक नाम रहमान बांदवी को सम्मानित किया गया है जो बुन्देलखण्ड पब्लिकेशंन हाउस के संस्थापक भी हैं। नेपाल की प्रसिद्ध संस्था शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से आज सम्मानित किया गया है।
आज हिंदी दिवस के मौके पर शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा हिन्दी दिवस आयोजित किए गया । अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवा साहित्यकार रहमान बांदवी को ” हिंदी काव्य रत्न ” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित किया गया है। रहमान बांदवी बांदा जिले के ख्याति प्राप्त लेखक हैं जिनकी सैकड़ों रचनाएं देश विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है तथा साहित्य के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए अब तक दर्जनों सम्मान मिल चुके हैं। संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु कहते हैं – रहमान बांदवी जी की रचना जीवंत लगती है। रहमान बांदवी जी ने बड़े अच्छे शब्दों का कविता में चयन किया है । ऐसे लेखकों से ही असल समाज का निर्माण होता है जो विकास और सकारात्मक परिवर्तन के लिए लिखते हैं। ऐसे विशिष्ट रचनाकारों की पहचान कर राज्य की प्रोत्साहन राशि तथा सम्मान करने की आवश्कता है ।
जबकि रहमान बांदवी जी का कहना है कि ये मायालु जी का बड़प्पन है बाकी जो विचार मुझे आते हैं उनको पिरो कर आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं व खुद को साहित्यकार के रूप में नहीं गिनते क्योंकि इनके अनुसार अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। इनकी दो पुस्तकें चल कलम व रंग-ए-जिंदगी प्रकाशित हो चुकी हैं।
आयोजित किए गए इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका, कनाडा तथा तंजानिया से 6742 महिला पुरुष रचनाकारों की सहभागिता थी जिसमें 675 प्रतिभाओं का उत्कृष्ट कविता के आधार पर चयन कर सम्मानित किया गया है। आयोजक संस्था को धन्यवाद देते हुए साहित्यकार रहमान बांदवी ने कहा – शब्द प्रतिभा वर्षों से देश विदेश के कवि तथा लेखकों को विभिन्न प्रतियोगिता के माध्यम से सम्मान कर प्रोत्साहित करती आई है । निःसंदेह संस्था द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्य से हम जैसे हजारों लेखकों को प्रोत्साहन मिला है, इसी क्रम में रहमान बांदवी जी और मायालु जी से मौखिक वार्ता के दौरान इस प्रतियोगिता को संकलन का रूप देने पर सहमति जताई थी परंतु मायालु जी शायद व्यस्तता के कारण संकलन से संबंधित अग्रिम कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली यदि मिलता है तो जल्द ही इसको संकलन के रूप में लाने की कोशिश रहेगी । संस्था की सचिव चरना कौर कहती हैं – हिंदी आज किसी एक देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व भाषा बन चुकी है। सभी के अपनी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। इस प्रतियोगिता में हजारों शिक्षकों तथा लेखकों ने देश विदेश में प्रतिभागिता की जो संस्था के लिए गर्व का विषय है।

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