नेपाल राजकुमार जायसवाल विचारक्रांति “हिंदी काव्य रत्न” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित

मध्यप्रदेश के ऊर्जाधानी सिंगरौली के प्रसिद्ध युवा साहित्यकार व युवा समाजसेवी का नेपाल में सम्मान किया गया।
नेपाल के लुंबिनी में आयोजित किए गए एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की शान, अनेक प्रतिभाओं,गुणों के खान तथा साहित्य में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले युवा साहित्यकार राजकुमार जायसवाल “विचारक्रांति” को सम्मानित किया गया है।
नेपाल के प्रसिद्ध संस्था शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से हिंदी दिवस पर सम्मानित किया गया है, जिसमे हिंदी दिवस के मौके पर शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा आयोजित किए गए हिंदी दिवस अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवा साहित्यकार राजकुमार जायसवाल “विचारक्रांति” को “हिंदी काव्य रत्न” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित किया गया है, जिनकी साहित्यिक उपलब्धियां अनगिनत है। राजकुमार जायसवाल “विचारक्रांति” की 2600 से अधिक रचनाएं पुस्तकों,समाचार पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं, 64 संकलित किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, “आदर्श जीवन जीने के लिए 51 आदतें” पुस्तक के लेखक है।ये दर्जन भर अंतर्राष्ट्रीय व सैकड़ों राष्ट्रीय काव्य पाठ में सहभागिता कर चुके हैं।तथा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय व अभूतपूर्व योगदान के लिए अब तक 2800 से भी अधिक सम्मान पत्र मिल चुके हैं।

संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु कहते हैं – “राजकुमार जायसवाल विचारक्रांति की रचनाएं जीवंत लगती हैं, बड़े अच्छे शब्दों का चयन किए हैं कविता में। ऐसे साहित्यकारों से ही असल समाज का निर्माण होता है जो विकास और सकारात्मक परिवर्तन के लिए लिखते हैं।ऐसे विशिष्ट रचनाकारों की पहचान कर राज्य की प्रोत्साहन राशि तथा सम्मान करने की आवश्यकता है।”

आयोजित किए गए इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका, कनाडा तथा तंजानिया से 6742 महिला पुरुष रचनाकारों की सहभागिता थी जिसमें 675 प्रतिभाओं का उत्कृष्ट कविता के आधार पर चयन कर सम्मानित किया गया है। आयोजक संस्था को धन्यवाद देते हुए युवा साहित्यकार राजकुमार जायसवाल “विचारक्रांति” ने कहा – शब्द प्रतिभा वर्षों से देश विदेश के कवि तथा लेखकों को विभिन्न प्रतियोगिता के माध्यम से सम्मान कर प्रोत्साहित करती आई है । निःसंदेह संस्था द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्य से हम जैसे हजारों साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिला है। संस्था की सचिव चरना कौर कहती हैं – “हिंदी आज किसी एक देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व भाषा बन चुकी है। सभी के अपनी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। इस प्रतियोगिता में हजारों शिक्षकों तथा लेखकों ने देश विदेश में प्रतिभागिता की जो संस्था के लिए गर्व का विषय है। “

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