जौनपुर की 9वीं की छात्रा के मौत मामले में न्यायालय ने सरकार से किया जवाब तलब व केस डायरी भी किया तलब
■ संवेदनशील मसले पर प्रशासन की उदाशीनता के चलते दोषियों को सज़ा दिलाने में बरती जा रही हैं कोताही : अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ
■जौनपुर में 2 जुलाई को भोजपुरी फिल्म डायरेक्टर की भांजी की स्कूल कैंपस में संदेहास्पद मौत का है मामला
अलीम उद्दीन
प्रयागराज। जौनपुर जिले के ग्यासपुर स्थित बालिका विद्यालय में नौवीं कक्षा की छात्रा रूबी की संदेहास्पद स्थिति में मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति राममनोहर नारायण मिश्र की फटकार के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज हुई थी। खंडपीठ ने गोविंद निषाद की याचिका पर अधिवक्ता जयशंकर मिश्र एवं शरदेंदु मिश्र को सुनकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। छात्रा के मौत मामले में एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों बाद भी दोषियों की गिरफ्तारी न होने पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के समक्ष दायर फेयर इन्वेस्टिगेशन याचिका में मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए न्यायालय ने सरकार से जवाब तलब करने के साथ ही केस की इन्वेस्टिगेशन कहां तक पहुंची विवरण हेतु केस डायरी भी तलब कर लिया।
बतातें चलें कि याचिका के अनुसार नौवीं कक्षा की छात्रा गत दो जुलाई को जयप्रकाश नारायण सर्वोदय बालिका विद्यालय ग्यासपुर में पढ़ने गई थी। स्कूल पहुंचने के लगभग साढ़े तीन घंटे बाद परिजनों के पास स्कूल के प्रधानाचार्य का फोन आता है कि आपकी बच्ची की मौत हो गई है। सूचना पाकर स्कूल पहुंचे परिजनों ने देखा कि छात्रा के शव को सील कर पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था। परिजनों ने स्कूल प्रशासन व अधिकारियों से शव को देखने की प्रार्थना लेकिन सबने अनसुना कर दिया। परिजनों का आरोप है कि शव का पंचनामा पर भी जबरन उनके हस्ताक्षर कराए गए। पुलिस प्रशासन के मिलीभगत से दोषियों की गिरफ़्तारी नहीं होने पर पूरे घटनाक्रम के निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के समक्ष फेयर इन्वेस्टिगेशन याचिका दाखिल हुई। जिसपर 26 नवंबर 2024 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई हुईं और न्यायमूर्ति जस्टिस राजीव गुप्ता व न्यायमूर्ति जस्टिस सुरेंद्र सिंह प्रथम के समक्ष याचीगण के अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ ने अपनी प्रार्थना रखा, जिसपर उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दो सप्ताह के भीतर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए एडिशनल गवर्मेंट एडवोकेट को पूरे केस की आख्या के तौर पर केस डायरी भी तलब करते हुए 11 दिसम्बर 2024 पर उपस्थिति होने का निर्देश दिया और टॉप टेन केस के तौर पर सुनवाई तिथि सुनिश्चित किया।
जिसपर अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ का कहना है कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और जल्द इसमें दोषियों की गिरफ़्तारी सुनिश्चित होगी। लीगल एसोसिएट स्वाती चतुर्वेदी का कहना हैं कि यह घटना नारी शक्ति को लेकर सरकार के दावों पर प्रश्न खड़े करती हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस त्रिपाठी, राजीव कुमार पांडेय, अनिल शास्त्री , उदय सिंह, कृष्ण कुमार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर विभव मिश्र, ऋषभ मिश्र, बीएचयू के सलिल दुबे सबने एक स्वर में माननीय उच्च न्यायालय पर आस्था और विश्वास जताया है और कहा है कि इस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद का ऐतिहासिक फैसला आयेगा।