डॉक्टर सन्तोष कुमार माधव को मिला ‘हिन्दी काव्य रत्न’ 2024 सम्मान

आनन्द गिरि मायालु
लुम्बिनी, सितम्बर 14, महोबा जनपद के सुप्रसिद्ध कवि तथा लेखक का नेपाल में सम्मान किया गया है। नेपाल के लुम्बिनी में आयोजित किए गए एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के महोबा जिले की शान डॉक्टर सन्तोष कुमार माधव को सम्मानित किया गया है। नेपाल की प्रसिद्ध संस्था शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से आज सम्मानित किया गया है।
आज हिन्दी दिवस के मौके पर शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा आयोजित किए गए हिन्दी दिवस अन्तरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिक्षक तथा युवा साहित्यकार डॉक्टर सन्तोष कुमार माधव जी को “हिन्दी काव्य रत्न” मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। आ.माधव जी महोबा जनपद के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार हैं जिनकी सैकड़ों रचनाएँँ देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं तथा साहित्य के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए अब तक हजारों सम्मान मिल चुके हैं। संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु कहते हैं – डॉ.सन्तोष कुमार माधव जी की रचना जीवन्त लगती है, बड़े अच्छे शब्दों का चयन किया है कविता में। ऐसे लेखकों से ही असल समाज का निर्माण होता है जो विकास और सकारात्मक परिवर्तन के लिए लिखते हैं। ऐसे विशिष्ट रचनाकारों की पहचान कर राज्य की प्रोत्साहन राशि तथा सम्मान करने की आवश्कता है।
आयोजित किए गए इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका, कनाडा तथा तंजानिया से 6742 महिला पुरुष रचनाकारों की सहभागिता थी जिसमें 675 प्रतिभाओं का उत्कृष्ट कविता के आधार पर चयन कर सम्मानित किया गया है। आयोजक संस्था को धन्यवाद देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार माधव जी ने कहा – शब्द प्रतिभा वर्षों से देश विदेश के कवि तथा लेखकों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से सम्मान कर प्रोत्साहित करती आई है । निःसंदेह संस्था द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्यों से हम जैसे हजारों शिक्षकों तथा लेखकों को प्रोत्साहन मिला है। संस्था की सचिव चरना कौर कहती हैं – हिन्दी आज किसी एक देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व भाषा बन चुकी है। सभी के अपनी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। इस प्रतियोगिता में हजारों शिक्षकों तथा लेखकों ने देश विदेश में प्रतिभागिता की जो संस्था के लिए गर्व का विषय है।”

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