वादी जेल वार्डर संजय सिंह के केस पर हाईकोर्ट ने विभाग से किया जवाब तलब, अब 18 अक्टूबर को होगी सुनवाई
■ वादी को 10 साल की पूरी सज़ा भुगतने के बाद भी विभाग नहीं दे रहा मौलिक वेतन और प्रमोशन
प्रयागराज। वादी संजय सिंह को उसके कनिष्ठ जेल वार्डरों को दिये गये प्रमोशन तिथि से प्रार्थी को प्रमोशन दिये जाने व मौलिक वेतन के मामले पर 4 अक्टूबर को कोर्ट नंबर 5 में सुनवाई हुईं। जिसमें उनके अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ व जयशंकर मिश्र ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रार्थना रखते हुए कहा कि प्रार्थी संजय सिंह बोक्सा पुत्र निब्बू लाल निवासी शिल्पी नगर, बब्बूपुरवा, टी०पी० नगर, जनपद कानपुर नगर 11 दिसंबर 1995 के आदेश के अनुसरण में जनपद कारागार इटावा जेल वार्डर के पद पर नियुक्त हुए थे। वर्तमान में बुलन्दशहर कारागार पर अपनी सेवायें दे रहें है और आकस्मिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु वादी व अन्य जेल वार्डर जो जिला कारागार जनपद मथुरा में कार्यरत थे को सेन्ट्रल जेल आगरा में कार्य करने हेतु भेजा गया था। और 15 नम्बर 2013 को वादी केन्द्रीय जेल कारागार आगरा के मुख्य गेट पर रात्र पाली में 02.00 बजे से 04.00 बजे तक “सन्तरी” के रूप तथा 04.00 से 06.00 बजे तक सहायक “सन्तरी” के रूप में तैनात किया गया था और वादी 04.00 बजे से “सन्तरी” का प्रभार अपने साथी अजय कुमार सिंह को दे दिया था परन्तु सजायाफ्ता बन्दी जितेन्द्र उर्फ चीकू के जेल से पलायन किये जाने के प्रकरण में
वादी को दोषी मानते हुए नियुक्ति अधिकारी ने 29 मार्च 2014 को जारी आदेश के तहत वादी को 10 वर्ष की अवधि के लिये न्यून वेतन पर प्रत्यावर्तित कर दिया था। जिसके विरूद्ध वादी ने अपीलीय अधिकारी महोदय के समक्ष अपील नियोजित किया था जो अभी भी लम्बित है। परन्तु 29 मार्च 2024 को 29 मार्च 2014 के आदेश की समय सीमा पूर्ण होने के उपरान्त वादी को नियमानुसार वेतन प्रदान किया जाना चाहिए और इसी मध्य प्रार्थी के कनिष्ठ जेल वार्डरों को हेड जेल वार्डर पद पर पदोन्नति कर दिया गया है। जो राजस्तरीय जेल वार्डरों की वरिष्ठता सूची में प्रार्थी से कनिष्ठ है और इसी प्रकार एक फर्जी एवं निराधार शिकायत पर वादी की सेवायें आदेश तिथि 26 फरवरी 2017 द्वारा समाप्त कर दी गयी थी क्योंकि वादी ने अनुसूचित जनजाति का लाभ लेते हुए नोकरी प्राप्त किया था। जिसे प्रार्थी ने रिट-ए संख्या-17233/2018 द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में प्रश्नगत किया था और विचारोपरान्त माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त आदेश को स्थगित कर दिया था। क्योंकि राष्ट्रपति अधिसूचना में वादी की जाति अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध है। इसलिए वादी 29 मार्च 2024 से अपने सहकर्मी जेल वार्डरों के समान वेतन प्राप्त करने तथा उसके कनिष्ठ जेल वार्डरों से प्रोन्नति तिथि से प्रोन्नति एवं वेतन सम्बंधी परिणामी सेवा लाभों को प्राप्त करने का अधिकारी है। करीब आधे घंटे की सुनवाई में अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ व जयशंकर मिश्र की दलीलों को सुनकर माननीय न्यायमूर्ति जे. जे मुनीर साहब ने वादी संजय सिंह के प्रकरण पर विचार करते हुए विभाग से जवाब तलब कर लिया हैं साथ में मसले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 18 अक्टूबर को डेट फिक्स कर सुनवाई की तारीख़ सुनिश्चित का आदेश पारित किया। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के उक्त आदेश को नेचुरल जस्टिस का हिस्सा बतलाते हुए लीगल एसोसिएट स्वाती चतुर्वेदी ने अपनी खुशी जाहिर किया साथ में सीनियर एडवोकेट एचएस त्रिपाठी,अनिल शास्त्री, राजीव कुमार पांडेय,मुन्ना कुमार बघेल,कृष्ण कुमार,इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर विभव मिश्र, ऋषभ मिश्र , इविंग क्रिश्चियन कॉलेज के आशीष चतुर्वेदी, रीतू चतुर्वेदी व बीएचयू के सलिल दुबे सबने एक स्वर में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के पर आस्था जताते हुए न्याय की रोशनी को जीवंत रखने वाला आदेश कहा है।