उपासना का पर्व नवरात्र आज से प्रारम्भ
दुर्गा आराधना का उत्तम समय माना जाता है नवरात्र: पं.देवमणि मिश्र
भदोही। गुरुवार से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो रहा है। यह 11 अक्टूबर तक चलेगा। नवरात्र के अवसर पर माता दुर्गा की आराधना बड़े ही विधि-विधान के साथ की जाती है। नवरात्र के संबंध में पंडित देवमणि मिश्र ने बताया कि धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार, शारदीय नवरात्र भगवती दुर्गाजी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती हैं। नवरात्र का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्र का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है। बताया कि शास्त्रों में नवरात्र पर्व मनाए जाने की दो पौराणिक कथाएं हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्माजी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनों लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के साथ होने वाले युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी मां भगवतीजी की आराधना की थी। रामेश्वरम में उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजयदशमी के रूप में जाना जाता है। श्री मिश्र ने बताया कि नवरात्र के 9 दिनों में देवी भगवती के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्र नौ दिनों का है। 11 अक्टूबर को नवमी हो जायेगी।
अभिजीत मुहूर्त में होगा कलश स्थापन
भदोही। नवरात्र के पहले दिन विधिनुसार घटस्थापना का विधान है। बतादें कि अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना होगा। कलश स्थापना का मुहूर्त दिन में 11 बजकर 34 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक है। इसी समय के अंतर्गत कलश स्थापना उत्तम होगा।
आज होगी शैलपुत्री की पूजा
भदोही। नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री के पूजन का विधान है। इस दिन माता दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री की पूजा से समस्त प्रकार के मनोविकार दूर होते। गुरुवार को माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी।