दूल्हा बने रे नंदलाल की रुक्मणि दुल्हन बनी….

श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह का हुआ प्रसंग, पंडाल में श्रद्धालुओं ने बरसाए पुष्प

सुनील पाल,
मांधाता-प्रतापगढ़। मांधाता क्षेत्र के रामनगर हैंसी में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में रविवार को रुक्मिणी विवाह प्रसंग व सुदामा चरित्र का वर्णन सुन श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथावाचक अतुल जी महराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ। बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे हृदय से पति के रूप में चाहती थीं। लेकिन भाई रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मिणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो उसे बड़ा दुख हुआ। अत: शुद्धमति के अंतपुर में एक सुदेव नामक ब्राह्मण आता जाता था। रुक्मिणी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वे श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। सात श्लोकों में लिखा हुआ मेरा पत्र तुम श्रीकृष्ण तक पहुंचा देना। कथावाचक ने बताया कि रुक्मिणी ने स्वयं को प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताया। पत्र में रुक्मिणी ने बताया कि वह प्रतिदिन पार्वती की पूजा करने के लिए मंदिर जाती है श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जाओ। पत्र के माध्यम से रुक्मिणी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। मैं किसी और पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती हूं आचार्य ने बताया कि पार्वती के पूजन के लिए जब रुक्मिणी आई उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए। अत: रुक्मिणी के पिता ने रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया। इंद्र लोक से सभी देवताओं द्वारा पुष्पों की वर्षा की तथा खुशियां लुटाई और मौजूद श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगलगीत भी गाए। इसके बाद सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया।
कथा के मुख्य यजमान राम प्रवेश मिश्र एवं शान्ती मिश्रा रही वही व्यवस्थापक आदित्य प्रसाद मिश्रा व अर्पित मिश्र दूर दराज से आए हुए समस्त श्रद्धालु भक्तों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर की रामशंकर मिश्रा, प्रज्ञा नंदन मिश्रा, घनश्याम मिश्रा, मंगला प्रसाद मिश्रा, दिवाकर पाण्डेय, सौरभ मिश्रा, रवि, शशि आदि मौजूद रहे।

फोटो-भागवत कथा का रसपान करते भक्तगण एवं कथा सुनाते कथावाचक,

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